Friday, 17 March 2017

इस्लाह सआदत हसन मन्टो saadat hasan manto

“कौन हो तुम”?

“तुम कौन हो”

“हरहर महादेव......हरहर महादेव”

“हरहर महादेव”

“सुबूत क्या है”?

“सुबूत......मेरा नाम धर्मचंद है”

“ये कोई सुबूत नहीं”

“चार वेदों से कोई भी बात मुझ से पूछ लो”।

“हम वेदों को नहीं जानते......सुबूत दो”

“क्या”?

“पाएजामा ढीला करो”

“पाएजामा ढीला हुआ तो एक शोर मच गया। मार डालो......मार डालो”

“ठहरो ठहरो...... मैं तुम्हारा भाई हूँ......भगवान की क़सम तुम्हारा भाई हूँ”।

“तो ये क्या सिलसिला है”?

जिस इलाक़े से आ रहा हूँ वो हमारे दुश्मनों का था इस लिए मजबूरन मुझे ऐसा करना पड़ा...... सिर्फ़ अपनी जान बचाने के लिए...... एक यही चीज़ ग़लत होगई है। बाक़ी बिल्कुल ठीक हूँ”।

“उड़ा दो ग़लती को”

ग़लती उड़ा दी गई......धर्मचंद भी साथ ही उड़ गया 

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